Sunday 29 May 2022

असमंजस

मै चाहता
बाजा बजाना,
पर सो रहा
परिवार मेरा,
और चाहता
खाना भी खाना
पर व्रत हुआ
परिवार मेरा,

मै चाहता की
छोड़ आऊ,
नौकरी अंग्रेज वाली,
मै आके
अपने देश खोलूँ
चाय की टपरी ही छोटी,
सबको पिलाऊं
शक्कर मिलाकर
साथ दूं मठरी मलाई,
और क्या पता
मै बन भी जाऊं
मै देश का प्रधामंत्री,
पर गरीब है
परिवार मेरा,

मै सोचता हू
ब्याह लाऊ
छोकरी बेजात वाली,
आंख जिसकी
भूरी–सी हो,
रंग की वो
निखत काली,
वो जो नहीं है
अप्सरा और जो
नहीं सबसे निराली,
पर मौन है
परिवार मेरा,

मुझको लगता
है की भीगूं
बरसात की
पहले पड़े पर,
साइकिल उठा कर
घूम आऊ
सारनाथ और
यूपी कॉलेज,
मै गंगा मैया की
ठंड लेकर
दिन बिता दून
घाट पर ही,
शाम को लौटू
खाकर मलाईयो
दूध वाली,
पर चिंतित बहुत
परिवार मेरा!


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