जब रात देर से सोए थे,
कल रात तुम्हारी तकिए मे
तस्वीर दबा के सोए थे,
कुछ याद तुम्हारी ले लेकर
हम रात देर तक रोए थे,
कुछ और भी बाकी रखा था
जब सुबह देर तक सोए थे,
तुम आकार पास मे बैठी थी
थे केश तुम्हारे खुले हुए,
Vasmol का था कमाल
थे होश हमारे उड़े हुए,
वो खुशबू इतने खुमार की थी
हम चाहकर भी कुछ कह न सके,
जीवन मे तुम्हे कहां पाया
सपनों में भी तुम रह न सके,
सपनों मे साथ तुम आ बैठे
तो साथ तुम्हारा क्या छूटे,
तुम जाने लगे भोर में जब
तो हाथ तुम्हारा क्या छूटे,
पापा से नज़र बचाकर हम
फिर छत पर जाकर लेट गए,
तुमको नसीब मे देख लिया
तो फिर से आज हम देर उठे!
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