Saturday 14 May 2022

नए पात्र

वही कहानी है
वही है तरीका,
बदली है बस जुबानी
और करने का सलीका,

वही तो मुद्दे हैं
जिसपे बात मन में थी,
वही देशहित था
जिसकी हिचक बैठी थी,
बदलें केवल लोग
उनके पीने का तरीका,

वही कहते हैं
जो हमने नाम रक्खे थे,
वही दर्जा है जो हमने
मिलके देखे थे,
बदला है केवल वक्त
और चुप रहने का सलीका,

वही बातें थी रुहानी
गांव खेड़ों मे,
वही रास्ते थे
आम–पीपल के,
बदला है केवल वहां पर
जाने का तरीका!

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...