Thursday 1 June 2023

राम-खड़ाऊ

राम अयोध्या 
मे भी थे,
राम चले थे 
वन को भी,
राम रुके थे 
चित्रकूट मे,
राम रमे थे 
मन को भी,

राम भरत 
मे राजा थे,
राम लखन 
मे प्रहरी भी,
राम मंथरा-माता थे 
राम कैकयी 
जननी भी,

राम नरेंद्र
बन बैठे हैं,
राम अरविंद सम
विरोधी भी,
राम बोस के 
साथ चले थे,
राम रहे 
सावरकर भी,

राम सिया से 
नाजुक थे,
राम कौशल्या 
की ममता भी,
राम माँ सबरी
की सीमा थे,
राम जड़वत 
मात अहिल्या भी,

राम जनक
के थे संकल्प,
राम शिव-धनुष 
प्रत्यंचा भी,
राम ही परशु
धारण करते,
राम जनकपुरी
की सज्जा भी,

राम दिव्यकीर्ति 
बन सौम्या पढ़ाते,
राम ही ओझा 
बन गुर्राते,
राम ही खान बन 
जन तक पहुँचे,
राम-अलख जल 
किशोरों को 
विनोद सुनाते हैं,

राम प्राचार्य अशांत 
बन बांचे,
राम ही आदिपुरुष 
बन नाचे,
राम ही शास्त्री 
बागेश्वर बाबा,
राम ही रामदेव 
योग की आभा,

राम कबीर के 
दोहे गाते,
राम रैदास बन 
चमड़ा काटे,
राम फकीर-सा
मांग के खाते,
राम अंबानी
बनकर लुट जाते,

राम सद्गुरु 
राम रविशंकर,
राम आनंदमूर्ति
राम ब्रह्मवत,
राम ही खोज 
राम ही उत्तर,
राम ही स्थिर
राम बहु-अन्तर,

राम अशोक 
राम ही अकबर,
राम प्रताप 
राम तदनंतर,
राम ही क्लाईव
राम गवर्नर,
राम विक्टोरिया
राम जवाहर,

राम ही 'बापू'
राम ही हिटलर,
राम ही चर्चिल 
राम सावरकर,
राम ही बुद्ध 
राम ही कृष्णा,
राम ही हिंसा 
राम ही तृष्णा,

राम बसे हैं 
कहाँ-कहाँ?
राम ने रोका 
किस-किस को?
राम हर जगह 
व्याप्त हुए,
राम ने चाहा 
जिस-जिस को!



No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...