साथ रहकर
बरसात जानते हैं,
हमें महलों मे
दावत मत दो,
हम सिद्धार्थ का
उन्माद जानते हैं,
अभी दोपहर तक
उड़ लेंगे
पानी पीने से पहले,
हम हवा मे
ऊँचाई का
अंदाज जानते हैं,
आज जाने दो हमे
गया और सारनाथ
हम राजाओं की भी
औकात जानते हैं,
राम का रास्ता
ढूंढते हैं
जंगल मे पीछे-पीछे
सत्ता मे रहने वाले
हमें अनजान जानते हैं,
भरत मिलाप का
सजाते हैं वो समाधि,
पर राम के आने का
अंजाम जानते हैं,
आज रात हमें
नींद आ ही नहीं रही,
जानने वाले तुम्हें
बदनाम जानते हैं,
अँधेरे मे सितारों से
रोशनी मांगते हैं,
जो पूनम को भी
अंधकार जानते हैं,
पोथी पढ़ने वाले
हर्फों को पी रहे हैं,
वो त्याग को भी
वनवास जानते हैं,
राम को कमियाँ
गिनाने मे लगे हैं,
पूछने पर कहते हैं
'श्री राम जानते हैं'!
No comments:
Post a Comment