यह घरबार पुराना है,
यह मेरा नहीं ठिकाना है
बंधन का तो बहाना है,
आज रुके ये आँसू हैं
आज मित्र हैं गले लगे,
आज शब्द न सूझ रहे
आंखें चोरी से लुका रहे,
आज नहीं कुछ बोले वो
आकर चुप हो सोये वो,
मेरे सामान को कंधे धर
मुझको छोड़कर रोये वो,
उनके हाथ से हाथ छुड़ा
रोटी कमाने जाना है,
आज ये रीत निभाना है
आज छोड़कर जाना है!
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