Saturday, 3 June 2023

प्रचार

पहन-ओढ़कर 
खड़ी हैं लड़कियाँ 
बाजार मे
छपी हैं इश्तेहार मे,

आज के रसूख को 
उठा रही बाजार से,
बता रही हैं 
क्यूँ बिका वो,
जो बिक रहा है 
जोर से,
क्या है जरूरतें मेरी 
बनी हैं जो पहाड़ से,

पहन ओढ़ के लकड़ियां 
खड़ी हैं हर अखबार मे!


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