रहेगी मुझको,
अपने रोने
वाली बात,
कब तक
मन से डरा रहूँगा,
जिसे न पा
सकते हो हाथ,
कब तक
राम से दूर रहूँगा,
जब डूब के
भक्ति पाऊँगा,
कब तक
पाँव के
छालों को
पंचकोश की
राह में रोऊँगा?
कौन याद रख
पायेगा दुख,
राम राज्य के
आने पर?
किसके मन मे
व्यथा बचेगी
सब राम चरण
मे चढ़ाने पर !
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