Saturday 26 February 2022

अशांत

मार कर, कर दूं आज
शांत मै अशांत को,
अशांत है, प्रशांत क्या
या शांत ही अकांत है?

झील है ठहरा हुआ
या की जल प्रपात है,
प्रताप है फैला हुआ
या घुप्प अंधकार पसरा हुआ?

सहज नहीं, सहज लगे
सहज का ज्यों अकाल है !
समाज की दिशा मुझे
समाज से जुदा लगे !

अशांत ही प्रशांत है,
प्रशांत भी अशांत है!

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