Thursday 3 February 2022

कबूतर

ये कबूतर 
मिट्टी खा रहा है,
या खा रहा है
कंकड़,
चल–चल कर
उठा रहा है
यह कबूतर
कीड़ा कोई 
या मिट्टी का कण।

यह कबूतर 
ढूंढ कैसे पा रहा है
कण–कण का कंचन,
यह कबूतर तृप्त है
फांकता है रज–कण,
मै ढूंढता हूं ताज कोई
वह पा रहा है अंतर।

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