कोई वस्तु तो नहीं तुम,
मेरी हसरतों से पैबंद
कोई हस्ती तो नहीं तुम,
मैंने खुदा बनाया
सजदे मे जिसको झुककर,
उसीको खुदा ने मांगा
कोई सस्ती तो नहीं तुम,
मैं संग–संग तुम्हारे
संगम के जल नहाया,
आगे सफर बदल दूं
कोई कश्ती तो नहीं तुम,
मछली की आंख भेदूं
अपने मुकुट सजा लूं,
बाज़ी मे भी लगा दूं
कोई द्रौपदी तो नहीं तुम,
धनुषों को तोड़ दूं मैं
सुदर्शन तुरंत उठा लूं,
तुमसे प्रणय का प्रण लूं
कोई बेबसी तो नही तुम!
No comments:
Post a Comment