राम ठौर पर,
आज भ्रमर संसार के,
आज हो दृष्टा
जगत मूल के,
शावक हो अभिमान के,
आज जगत से
राम को देखो,
हंस लो उसकी
चर्चा पर,
आज भुलाकर
राम की रचना
बैठो ऊंची
मज्जा पर,
पर सभी ठौर
जब देख लिया
तब राम ठौर ही भाएगा,
जब राम कृपा की
वर्षा होगी,
राम बुलावा आएगा!
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