Wednesday, 16 November 2022

उधार

उधार की खुशी मेरी
उधार का ही ज्ञान,
उधार पर टिका हुआ
मेरा आत्मसम्मान,

उधार की बात पर
मै बात बनाता,
उधार को खिताब कर
मै राह सजाता,

उधार मांगने को मैं
कहां तक चला जाता,
उधार का विनाश मैं हूं
सर पे उठाता,

राम का उधार क्या 
मैं हूं चुकाता,
या और उधार
मै हूं राम भुलाता!


No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...