Wednesday 23 November 2022

उधेड़–बुन

उधेड़ता हूं फिर बुनता
मै राम को टटोलता
राम को मैं जानता
पर राम को मैं तौलता,

राम का दिया हुआ 
क्यूं राम से अलग कहा
मै क्या कहा तो क्या हुआ
मै राम से ही प्रश्न किया,

राम की समझ मे मै
राम राम कहता
और राम की मर्जी से मै
उधेड़ता और बुनता!

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