बीत जाने दो,
सामने बैठी रहो
आने जाने वालों को
जाने आने दो,
कुछ बातें करती रहो
खिलखिलाती रहो,
आज सुबह टहलने को
निकले तो थे साथ मे,
कुछ योग करने को
कहते तो थे,
कुछ समय टहलने मे
और जाने दो,
दौड़ने वालों को
परेशान होने दो,
हाथ मेरा तुम पकड़
फैल कर चलो,
बेला के बाग से
होकर संग चलो,
कुछ फूलों को
केशों को अपने
खींच लेने दो,
चलो घास पर
ओस की बूंदें
समेटें साथ,
पांव को संग मे
मेरे नहाने दो,
आज थकने ही
सांसों को मुस्कुराने दो,
सूर्य–नमस्कार
थोड़ी देर मे करेंगे,
सूर्य को माथे पे
थोड़ा और चढ़ने दो,
भस्त्रिका करने तो
यहां पर रोज आते हैं,
अनुलोम–विलोम से
सांसों को पिरोते हैं,
आज तुमको देखकर ही
ध्यान करने दो,
आज कुछ आध्यात्म की
बदली बरसने दो,
पार्क मे घंटे ही भर का
टाइम टेबल है,
पर आज टाइम टेबल को
टेबल पे रहने दो,
दिन उभरने दो
पसीने निकलने दो,
सब जा चुके हों जब
तो आलस को
मचलने दो,
बिखरने दो खुद को
समेटेंगे हम ही मिलकर,
आज समय के बांध की
सीमा तोड़ बहने दो!
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