हर विचार खोलकर,
राम नाम बसा लिया
कपार खोलकर,
हर गली घूम–घूम
हर काल खोलकर,
देख लिया जन्म भर का
भार खोलकर,
इधर–उधर हुआ बहुत
आंख खोलकर,
पलट–पलट, उठा–पटक
हर भाव तोलकर,
सुलझ रही है भावना
आधार धरकर,
पी रहा हूं आजकल
जो राम घोलकर,
मै मौन हूं
अब सभी से
प्रणाम बोलकर,
सो रहा हूं
उठ रहा,
सिया राम बोलकर!
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