पर्दे के पीछे,
पर्दा काल का
है प्रतिबिंब,
पर्दा वही
आकर्षित करता,
जिसमे मन और
लगा हो जिस्म,
पर्दा नहीं सभी को खींचे
नहीं सभी को एक–सा,
पर्दे के रंग हैं बहुत
बहुरंगी जगत बिंब–सा,
तुमको कौन–सी
परत खोलनी,
कौन–सी तुम्हे रिझाएगी,
वही तुम्हारा मुक्ति–बंध है,
संभू नहीं बनाएगी,
राम नाम है सबका मूल
हर भाव की पराकाष्ठा है,
राम नाम का सुख अपार है
राम पर्दों का श्रृष्टा है!
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