Thursday 17 November 2022

बात

आज बस बात हुई 
यहां की 
वहां की 
इधर की 
उधर की 
ऊपर की 
नीचे की
दाएं की 
बाएं की 
आगे की 
पीछे की 
इसकी 
उसकी

आज बस बात हुई 
भूली हुई 
बिसरी हुई
देखी हुई 
सुनी हुई 
रुकी हुई 
बनी हुई 
बिगड़ी हुई 
चली हुई 

आज फिर से बात हुई 
चाहत की 
मिलन की 
बिछड़ने की 
सवरने की 
मिलने की
बिछड़ने की
आने की 
जाने की 
पकड़ने की 
छोड़ने की 
पाने की 
खोने की
होने की।

आज फिर मुलाकात हुई
पहली बार 
आखरी बार 
ईतनी बार 
उतनी बार
दिल ने चाहा जितनी बार
आज किसी ने रोका नहीं 
न परीक्षा ने 
न किताबों ने 
न स्कूल ने
न मैडम ने
न सर न 
न घंटे की क्लास ने
न prelims ने
न रिजल्ट ने

आज फिर से मिलने का वादा हुआ 
बनारस मे 
इलाहाबाद मे
संगम मे
सितारों मे 
गलियों मे 
बाजारों मे 
चौराहे पर
किनारों पर
यूपी कॉलेज मे 
जेएचवी मे
अस्सी घाट पर 
गंगा के नाव पर
संकटमोचन मे 
काशी विश्वनाथ मे
शादियों मे 
पंचकोश मे
भीड़ मे
बरातों मे
आज कुछ याद नहीं रहा 
समय का 
धूप का 
चादर का 
चटाई का 
टेबल का 
पानी का 
कलम का

आज रुकी नहीं 
कलम मेरी 
कदम मेरे 
फोन की मेरी बैटरी 
या फिर मेरी कविताओं के बंद 
मेरी गजलों के शेर 
मेरे अनुभव के दास्तान 
आज हल्का हो गया 
मेरे दर्द का गुबार
आज फिर से खुल गया 
मेरा पुराना प्यार 
आज बस बात हुई,
पढ़ाई नहीं!


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