यहां की
वहां की
इधर की
उधर की
ऊपर की
नीचे की
दाएं की
बाएं की
आगे की
पीछे की
इसकी
उसकी
आज बस बात हुई
भूली हुई
बिसरी हुई
देखी हुई
सुनी हुई
रुकी हुई
बनी हुई
बिगड़ी हुई
चली हुई
आज फिर से बात हुई
चाहत की
मिलन की
बिछड़ने की
सवरने की
मिलने की
बिछड़ने की
आने की
जाने की
पकड़ने की
छोड़ने की
पाने की
खोने की
होने की।
आज फिर मुलाकात हुई
पहली बार
आखरी बार
ईतनी बार
उतनी बार
दिल ने चाहा जितनी बार
आज किसी ने रोका नहीं
न परीक्षा ने
न किताबों ने
न स्कूल ने
न मैडम ने
न सर न
न घंटे की क्लास ने
न prelims ने
न रिजल्ट ने
आज फिर से मिलने का वादा हुआ
बनारस मे
इलाहाबाद मे
संगम मे
सितारों मे
गलियों मे
बाजारों मे
चौराहे पर
किनारों पर
यूपी कॉलेज मे
जेएचवी मे
अस्सी घाट पर
गंगा के नाव पर
संकटमोचन मे
काशी विश्वनाथ मे
शादियों मे
पंचकोश मे
भीड़ मे
बरातों मे
आज कुछ याद नहीं रहा
समय का
धूप का
चादर का
चटाई का
टेबल का
पानी का
कलम का
आज रुकी नहीं
कलम मेरी
कदम मेरे
फोन की मेरी बैटरी
या फिर मेरी कविताओं के बंद
मेरी गजलों के शेर
मेरे अनुभव के दास्तान
आज हल्का हो गया
मेरे दर्द का गुबार
आज फिर से खुल गया
मेरा पुराना प्यार
आज बस बात हुई,
पढ़ाई नहीं!
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