एक रहता था,
वो भी तब का
जब मित्र का मतलब मै
क्या ही समझता था,
वो यहीं पार्क में
हर रोज मिलता था,
बेचकर के चूड़ियां
वो दाव खेलता था,
चब्भे थे पड़ते उसके
पिल्लो मे बहुत सटीक,
बाल थे बड़े–बड़े
निपोर थी निर्भीक,
वह मुझे हर शाम को
गले से मिलता था,
मेरे लिए वो टीम मे
जगह रखता था,
मोड़ पर चौराहे के
मां के साथ रहता था,
हर सुबह, स्कूल मैं
वो बाजार जाता था,
मां उस गली
जाने से मुझको
रोक लेती थी,
उस गली शैतान है
यह बिल देती थी,
अब बड़ा होकर जो मै
परदेस से आया हूं,
चौराहे पर घूमने
एक बार आया हूं,
उस गली के मोड़ पर
क्या वो अब भी रहता है?
शैतान गरीबी का
क्या वहां पर अब भी सोता है?
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