Sunday 6 November 2022

सहमत

मुझसे कैसे हो नहीं
तुम सहमत,
मै कह रहा हूं
आज बहुत
पढ़ने के बाद,

आज मुंह खोलकर
कर दिया उपकार,
आज फिर तुमपर 
है मेरा पूर्ण सा सत्कार,

पर क्यों तुम 
खोलते हो
नहीं अब
ज्ञान के चक्षु,
हे खुदा इसपर करो
कुछ और भी रहमत!

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...