Monday 15 January 2024

धन्यवाद

धन्यवाद आज आने के लिए 
जीवन मे सौगात लाने के लिए,
इस दुनिया को खूबसूरत बनाने के लिए 
मानव सभ्यता को जगाने के लिए,

ना होती तुम तो 
दिल की आशिकी न होती 
मेरे ख्वाबों की मे रोशनी न होती 
ये मुस्कान न होती
ये अल्फाज़ न होते,
कोई जुनून की हद 
मालूम न होती,
हर पहलू की शरहद
मापी न होती,
हमें यकीं खुद पर होगा 
ये यकीं कहाँ था,
तुमने अगर ये दामन 
थामी न होती?
धन्यवाद इस तरह मुझे 
मनाने के लिए!

कॉलेज मे चलती 
साथ पैदल हमारे,
चिलम मे भरते 
नर्म रेशों के धागे,
लेक-साइड मे बैठे
दी चिंगारी हल्की-फुल्की,
अँधेरों मे चमकी 
हँसी-खिलखिलाई,
फ़िल्मों मे पर्दा
चिल्ला के जलाया,
तुमने सृजन कर 
हर दिशा को हँसाया,
शुक्रिया ओस की बूँद 
बन जाने के लिए,

गलियारों मे तुमने 
की गलबहियाँ,
बिगड़ने की नौबत तक 
जोड़ ली हमने कड़ियां,
मुरव्वत रखी ही नहीं 
जब मिली तुम,
संग फोटो मे कैद 
कर ली हमने सदियाँ,
कहे उसके किस्से 
और उसके तराने,
टांग खींचे सभी के 
लगे जो निशाने,
शुक्रिया रंगमंच ये 
सजाने के लिए!

गालों की लाली 
आंखों की हसरत,
जुबां की खनक
इशारों की उल्फत,
किस्सागोई मे बीती 
सितारों की रातें,
तारीफों की चाशनी मे
घुली-सी कोई शर्बत,
शिफाॅन मे लाल 
महलों की रानी,
अधूरे लिबासों मे
पूरी कहानी,
अप्सरा बन ज़मी को खिलाने के लिए 
शुक्रिया हर महफ़िल सजाने के लिए!




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