एक साँस में,
कितना सोना है
एक रात में,
कितना लिखना है
एक कलम से,
कितना सोचना है
एक नियत से,
कितना चलना है
की नींद अच्छी आए,
कितना बोलना है की
बात बन जाए,
कितने का है हिसाब
की भूख मिट जाएं?
कितने रखें हिजाब
की पाक रह जाएं?
कितना सँवरना है
की उनका
दिल नहीं भर जाए,
कितना पिघलना है
की उनका
पारा न चढ़ जाए!
कितना बड़ा हो ख्वाब
की जिसमें
आसमान हो बंद,
कितना रहे ईमान
जिसमे राम हो हरदम!
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