मंदिर गया तो,
होंगी वही पुरानी बातें 
कुछ मांग की अर्जी 
कुछ चढ़ावे की किस्त,
कुछ संकल्पों के वादे 
कुछ ख्वाहिशों की फेहरिस्त,
कुछ आँसू लेकर जाऊँगा 
जरा हाथ जोड़कर कर बैठूंगा,
और किसी की झोली मे
मैं कनखियों से झाँकूंगा,
मै अपने और उनके बीच के 
फ़ासले कैसे पाटुंगा?
 
No comments:
Post a Comment