Tuesday, 9 January 2024

मुराद

आज अगर 
मंदिर गया तो,
होंगी वही पुरानी बातें 

कुछ मांग की अर्जी 
कुछ चढ़ावे की किस्त,
कुछ संकल्पों के वादे 
कुछ ख्वाहिशों की फेहरिस्त,

कुछ आँसू लेकर जाऊँगा 
जरा हाथ जोड़कर कर बैठूंगा,
और किसी की झोली मे
मैं कनखियों से झाँकूंगा,
मै अपने और उनके बीच के 
फ़ासले कैसे पाटुंगा?

No comments:

Post a Comment

सुधार

तुम सुधर न जाना  बातें सुनकर जमाने की,  कहीं धूप में जलकर  सुबह से नजर मत चुराना,  ठंड से डरकर  नदी से पाँव मत हटाना,  कभी लू लगने पर  हवा स...