Tuesday 30 January 2024

वासना कहाँ है?

कहाँ टिकी हुई है 
किसे जरिया बनाया है,
ये धुआं जो उठ रहा है 
आग कहाँ लगाया है,

होठों पर तिलिस्म है 
या कपड़ों से रिस रही है,
बातों से बांधती है 
या पर्चों मे छपी है,

अख़बार खोलते है क्या 
पर्दों की हकीक़त,
टीवी पर आ रहे है 
नुमाइश के नसीहत,

बाज़ार में घूमती है 
बेवजह क्या वो,
बागों मे खेलती है 
सखियों के साथ जो,

शरीर के किस अंग के 
उभार मे दबी है,
ये वासना किस द्वार पर 
खिड़की पर टंगी है?

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...