Tuesday, 2 January 2024

ख्वाहिश

तुम्हारा है या नशा है 
तुम्हारे ना होने का?
कशिश है तुमसे मिलने की 
या देखने भर की,
तलब है तुमको सुनने की 
या बहस करने की?
रंजिश है तुम्हारी जिद से 
या जिद्दीपन से,
जुस्तजू है तुमको जानने की 
या जायज बनाने की,
ख्वाहिश है तुम्हारी या 
तुम्हारे कुछ और होने की?

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...