तुम्हारा है या नशा है
तुम्हारे ना होने का?
कशिश है तुमसे मिलने की
या देखने भर की,
तलब है तुमको सुनने की
या बहस करने की?
रंजिश है तुम्हारी जिद से
या जिद्दीपन से,
जुस्तजू है तुमको जानने की
या जायज बनाने की,
ख्वाहिश है तुम्हारी या
तुम्हारे कुछ और होने की?
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