और फिर अगला साल,
जो नहीं किया अब तक
वो एक और साल तक
बचा रहेगा,
बचा रहेगा सब कुछ
जैसे अब तक था,
और डर का सैलाब
थमा रहेगा
अनजाने खतरे से,
उस अनहोनी से
जो दाग देने वाली है,
जो बेदाग को
छूकर कर देगी गंदा,
धीरे-धीरे बीतेगा अगला दिन
फिर अगला महीना
और फिर अगला साल!
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