एक-एक कर के चले गए,
दो से दो मे बंटने वाले
खंजर लेकर खड़े रहे,
दो के ऊपर दो जे देखे
उनकी आँखें सूज गई,
दो की धार पकड़ने वाले
अपने हाथों बूझ गये,
दो से नैन मिलाने वाले
दोनों को ही खो बैठे,
दो बातें मीठी करने वाले
बातों के मद में उलझ गये,
दो और दो को चार समझ
लकीरें दो- दो खींच लिया,
दो कदम मे पैरों को बाँधा
दो हाथ से मुट्ठी भींच लिया,
दो से दो को मिलने दो
दो से हाथ मिलाने दो,
दो और दो पाँच भी हो
कुछ नादानी भी रहने दो!
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