Friday 1 March 2024

चोरी के पराठे

कुछ बातें, कुछ मिन्नत 
कुछ वक्त- बेवक्त के मैसेज,
ग्रुप के देखे नंबर 
कुछ उल्फत के एहसास,

झरोखों की टकटकी 
दरवाज़ों पर चहल-कदमी,
कुछ जिज्ञासा, कुछ झिझक 
कुछ रात का आधा चांद,

कुछ सामने से मुलाकात 
कुछ कोरे आंखों के राज,
उड़िया क्लास की जलेबी 
उल्लास और विन्यास,

गीता और पलायन
भीड़ और आनंद,
सिद्धार्थ की दुविधा
आम्रपाली का प्रभाव,

थोड़ा आगे, थोड़ा पीछे 
पार्क और चक्कर,
मुरली की मीठी तान 
तुम्हारी संकोची मुस्कान,

कॉलोनी के लोग 
मंदिर और विसर्जन,
जगन्नाथ का भोज
रोज़ तुम्हारी खोज,

सुबह-सुबह ऑक्सीजन 
रात-रात का योग,
आँखों की कठपुतली
नया-नया- सा रोग,

संपर्क के लिए नंबर 
अधूरी-बिखरी बातें,
कुछ कहने वाले किस्से
ऊलजलूल हरकतें,

खरीदी हुई समझ
उधार के ईरादे,
हास्य-व्यंग्य का पानी
भावनाओं के बतासे,

आदर्शों के ऊंचे बंध 
तर्क की पैनी कील,
तुम ही मेरी मुवक्किल 
तुम्हारी कचहरी, तुम वकील,

जाने से पहले 
बिना कहे सौ वादे
तुम्हारे हाथों के 
छः चोरी के पराठे!

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