की जा सकूं मैं
घर को अपने खोजकर,
खोया नहीं मैं
मोड़ पर या
रास्ते की चौक पर,
रास्तों की स्मृति
समझ की लाठी,
पीपल की छांव
मंदिर की शीतलता,
साथ हैं मेरे
और रहेंगे मेरे
राम नाम लेकर मैं
चलते चला आऊंगा,
लंका के उपवन
ब्रह्मास्त्र के बंधन,
लंकेश के दरबार
और सिंधु लाँघ अपार,
पंचवटी के तीर्थ
राम के पास!
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