Tuesday 27 February 2024

प्यार

एक नज्म है मेरा प्यार
मैं लिखता- मिटाता हूं,
शब्द सजाता हूं 
अलंकार लगाता हूँ,
व्याकरण को जहां 
मैं भूल जाता हूँ,

एक धूप है मेरा प्यार 
जो सेकता बारंबार,
कभी तेज गर्मी में 
पसीने से तर-बतर,
रोशनी का व्यापार
मैं लगा हुआ कतार,
मैं धो लेता कुछ अंधकार,

एक स्याह है मेरा प्यार 
है जिसमें कलम निसार,
एक बार में रंग कई 
मिलाता और खींचता 
मैं कर रहा विस्तार,
नदी और पहाड़ 
मेरे पास और अपार,

एक इश्तेहार है यह प्यार 
यह छपा हुआ अख़बार,
इसमे रूप गुण और माया 
इसमे बजते हुए सितार,
यह लुभाता लोगों को 
उनको करता है बेकरार,
मैं सुनाता हूँ सबको 
मैं खुद होता बेज़ार 
मेरा ही प्रचार,

मेरा प्यार है अख़बार 
यह आता हर सुबह,
मेरी कलम से सजता 
हर पन्ने का आकार,
हर हर्फ के नीचे 
खींचता लकीर,
हर तरह के भाव 
हर शख्स की तसवीर,
मै ख़बर बनकर 
काग़ज़ से लिपट जाता हूँ!

मेरे राम मेरे प्यार 
मेरी काशी और हरिद्वार,
मेरे स्वर्ग का द्वार,
ये घाट का सत्कार 
मेरे मन मन्दिर मे 
स्थापित मेरा प्यार!

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