बातें करता कुछ और,
सोचता कुछ और 
कहता कुछ और,
अकेले मे छुपा 
चाहता कहना,
हास्यास्पद बात 
प्यार के सौगात,
रह गया है व्यवहार से
सीमित होकर कुछ शब्द,
मुखौटे के स्वरूप मे
ये फैला समाचार,
ये सब का मूल
कोई व्याभिचार,
मुखौटा कर रहा बेज़ार 
मुखौटा रावण का हथियार 
मुखौटा राम से विमुख 
राम के आसार!
 
No comments:
Post a Comment