Thursday 29 February 2024

सरलता

सरलता से आया ज्ञान
दिन पर दिन बढ़ा,
राम का संवर्धन 
मिट्टी में भरा,

बूँद- बूँद का पानी 
बूंद भरा विश्वास,
नदी की राह से चला 
बना हरस-उल्लास,

रात-रात की नींद 
सुबह-सुबह का प्राण,
सूर्य-नमस्कार और 
सुदर्शन क्रिया का ध्यान,

तारों भरा आकाश 
घास की चटाई,
मित्रों का सन्दर्भ 
मुरली का अभ्यास,

थोड़ा चाकरी पैदल 
थोड़ा साइकिल के ऊपर,
थोड़ी पार्क की सैर
थोड़ा लेखन कार्य,

धीरे-धीरे राम 
धीरे-धीरे कृष्ण,
धीरे-धीरे महावीर 
धीरे-धीरे बुद्ध!

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...