Wednesday 21 February 2024

रिश्ता

टूटने से जुड़ गया है 
ये रिश्ता कैसा 
बन गया है,
यादों की शृंखला है 
प्रश्नों के तार हैं,

नियत पहचान 
बना हुआ हैं,
चेहरे का भाव 
सजा हुआ है,
मन आवृत्ति से ही 
जुड़ गया है,

टूटने से ही यह 
गढ़ गया है,
बहुत ही यह
आगे बढ़ गया है,
राम से उठकर 
कहीं चढ़ गया है!

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