त्याग कर सब भ्रम,
मोह के ज़ंजीर
चाह के शमशीर,
इतिहास के सारे प्रश्न
मेरे और तुम्हारे हस्र,
कयामत की बात
दीवानेपन के ज़ज्बात,
तुम आओ मेरे पास
आज खाली करके शब्द
उसके होने के प्रारब्ध,
गुरु की भूलकर बोली
छुट्टी लेकर होली,
छोड़कर मरहम
खोलकर सब घाव
करते नहीं कुछ मोल
गिरा के अपने भाव
तुम आओ मेरे पास!
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