Saturday, 12 March 2022

भगत सिंह


तुम थे नहीं अब तक
या तुमको भूल बैठे थे
हम थे तुम्हारे गांवों मे
नशे में चूर बैठे थे,

तुम थे तो था की है कोई
अब कौन ऐसा है,
जो जान भी दे दे खुशी से
कौन वैसा है,

तुम थे लड़े जिससे अभी तक
वो ही अभी तक था,
भगवा पहन, पगड़ी लगा
बस रूप बदला था,

आज फैला है उसी का
उजाला हर तरफ
जो दिया रौशन हुआ था
भगत बन शबब,

फिर जलाएंगे घरों मे
चूल्हे दोनो पहर,
फिर से खेतों मे उगेगी
सरसों, नहीं ज़हर,

अब झुकाएंगे सरों को
दरों पर नानकों के हम,
अब बचाएंगे युवा को
नशों की बेड़ियों से हम,

अब बनाएंगे नए अजीत
नए आज़ाद नए भगत।

No comments:

Post a Comment

सुधार

तुम सुधर न जाना  बातें सुनकर जमाने की,  कहीं धूप में जलकर  सुबह से नजर मत चुराना,  ठंड से डरकर  नदी से पाँव मत हटाना,  कभी लू लगने पर  हवा स...