की नाम तुम्हार क्या है
मां होती तो बतला देती
की काम तुम्हारा क्या है,
मां नहीं भटकने देती तुमको
अलग–अलग दरवाजों पर,
अंदर झांक दिखा देती
मां एक ईश्वर की आंखों पर,
मां होती तो तुम पैसों को
मोल की वस्तु समझ पाती,
मां होती तो तुम अपने मोल को
अपने से ही चुका पाती,
मां होती तो गाली देना
तुमको बहुत नहीं आता
मां होती तो कविता पढ़ती
और वकील–सा मालिक ना होता,
मां आज का पिंजरा तोड़ के तुमको
खुली हवा मे उड़ा देती
मां होती तो तुम मुंह छुपा के अपना
साथ और किसी के ना सोती,
मां चली गई और संग ले गई
मर्यादा के परदे भी
मां चली गई तो चली गई
लेकर अपनी शर्तें भी।
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