Saturday 26 March 2022

कलम

मेरी कलम
तुम्हारी बातें
लिखती है,
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे कहने के बाद,

मेरी कलम
तुमसे बातें करती है
मेरे बोलने से पहले
तुम्हारे कहने के बाद,
 मेरी कलम को
शिकायत है तुमसे
कुछ लिखने के पहले
कुछ लिखने के बाद,

मेरी कलम
तुम्हारी कनीज़ है,
मेरा हाथ धर के रोती है,
स्याह मे तुम्हारी
डूबने के बाद।

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...