क्या था मै
और क्या–क्या थी
मेरी बातें,
वो भूल गए
झगड़े तगड़े
और थाली की
गिरती आवाज़ें,
वो भूल गए की
चटर –चटर कर
पटर–पटर
मै लड़ता था,
वो भूल गए
साइकिल मेरी,
जो मै खरीद कर
खोता था,
मेरी गन्दी–सी
हरकत को,
वो बातें करके
भूल गए,
मेरे खाने की
थाली रख
वो अपना
खाना भूल गए,
परदेश से जब मैं
घर आया
वो मेरा जाना
भूल गए,
मुस्कान सजाकर
गले लगाया
वो मेरी भूलें भूल गए !
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