ये शोर नहीं राम का
ये शोर बस समय का है
ये शोर नहीं काम का,
ये शोर ओमकार हैं
ये शोर अंधकार है
ये शोर व्यर्थ का बहुत
ये शोर है अनर्थ का,
सारा जोर कर्म का है
सारा काम कर्म का,
सारा नाम शोर मे है
नाम नहीं अर्थ का,
शोर–शोर ही रहे
और शोर बढ़ चले
शोर भी भला लगे
जो नाम राम का रहे।
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