Sunday, 6 March 2022

शोर

ये शोर है शरीर का
ये शोर नहीं राम का
ये शोर बस समय का है
ये शोर नहीं काम का,

ये शोर ओमकार हैं
ये शोर अंधकार है
ये शोर व्यर्थ का बहुत
ये शोर है अनर्थ का,

सारा जोर कर्म का है
सारा काम कर्म का,
सारा नाम शोर मे है
नाम नहीं अर्थ का,

शोर–शोर ही रहे
और शोर बढ़ चले
शोर भी भला लगे 
जो नाम राम का रहे।

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