गरीब बहुत हैं,
हम तो खाना भी
खाते हैं कुत्तों के साथ,
हमारे घर के खाने मे
नमक ज़्यादा है,
हमारे कपड़ों से घर मे
कफ़न ज्यादा है,
हमे पकवानों का शौक है
पढ़ाई से ज्यादा,
हमे खर्चे बहुत हैं
कमाई से ज्यादा,
हमारे बच्चे
हमारे काम मे
हाथ बटाते हैं,
जब तुम
बच्चो का अपने
काम कराते हैं,
हमारे लिए–दिए पर
तुम आंखें चढ़ाते हो,
तुम चवन्नी हमारी छीन कर
घर सजाते हो,
दारु पिलाके हमको
काम कराते हो,
अपना काम भुलाने को
तुम डुबकी लगाते हो,
हम गरीब हैं
तुम्हारी नज़र मे
क्यूं मुंडेरों से
हमारे घरों में झांककर,
अपने दिए
मद्धम जलाते हो?
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