करेंगे नहीं तो
मुहब्बत बड़ी
नामुकम्मल लगेगी,
उनको तो मेरी
फिकर अब कहां है,
पर अधूरी मेरी कुछ
इबादत लगेगी,
क्या बोलेंगे
मुझे याद करके किसीसे
उनकी मेरी गर
हिकारत लगेगी,
अपने घुटन की
दुहाई वो देंगे
जब उन्हें मेरी उल्फत
सहादत लगेगी,
चाहतें गर न कहते
मातम को अपने
दुनियां को वो एक
तवायफ लगेगी,
उन्हें याद करना
नहीं चाहते हैं,
पर मातम न करें तो
बगावत लगेगी !
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