चटर पटर करती,
उससे पूछकर उसका
उसके संग जोड़ती थीं
वकील साहिब,
जो होना होता नहीं था
उसको सोच लेती थीं,
वकील साहिबा 2 से 2
जोड़ लेती थीं,
वो बहन कहती
सभी को गोद लेती थीं,
नेह करती थीं
सरों पर तेल मलती थीं,
पर जलन जब हो तो
सबको तोड़ देती थी,
वकील साहिबा सभी को
झाड़ देती थीं,
बैठकर planning
वो रातों रात करती थीं,
वकील साहिबा
खुदा के साथ लड़ती थीं,
लड़ती–झगड़ती वो एक
वकील से टकरा गई,
वकील साहिबा अब तो
खुद ही गच्चा खा गई,
वकील को सुनती हैं अब
कहे हां वो या की ना,
प्रेम मे सकुचा गई
वकील साहिबा😊😊।
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