वो पहले से ही डरी हुई थी,
जो मुझसे मुंहज़ोर लड़ी
वो बहुतों के मुंह लगी हुई थी,
डर मेरा था या था उसका,
बल मेरा था या था उसका
गलती मेरी नहीं है कोई
यही मै सोचा करता था,
पर प्रेम की भाषा में भी
क्यूं मै डर के सोचा करता था?
दिल की गली में जाकर क्यों
मै मन से सोचा करता था?🤭
No comments:
Post a Comment