Monday, 4 April 2022

चोरी

थोड़ा वक्त चुराकर
देख लिया कुछ,
कुछ तुमसे भी
खुशियों की 
चोरी कर ली,

कुछ पल पढ़ाई से
छुप कर निकाला
एक कविता लिखी
वाह वाही कर ली,

कुछ क्षण उठाए
बगावत को मैने
अपने सुकून से 
लड़ाई कर ली,

मैने देखा syllabus
थोड़ी देर तक
कुछ topics मैने
ताड़ों पे धर दी,

चोरी से सोया मै
चोरी से जागा,
और अपने मे
हेरा–फेरी–सी कर ली,

देखा वो मैने
जो नहीं देखनी थी,
सोचा वो मैने
जो नहीं सोचनी थी,

पर अपनी वजह को
वजह कुछ बताकर
मैने राम नाम की
कुछ चोरी कर ली।

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...