नशा चढ़ा तो होगा,
तुम्हारे साए की उम्मीद मे
दिल यूंही नही मचला होगा,
कुछ रही होगी मौसम के
मिज़ाज की गुस्ताखी,
कोई फूल गुलिस्तां मे
वैसा ही खिला होगा,
कुछ इम्तिहान–ए–ज़िंदगी की
नज़र लगी होगी,
कोई हाल–ए–दिल कि किस्सा
नासूर बना होगा,
नशेमन के बिखरने पे
कोई कातर हुआ होगा,
कोई आप–सा लगने से
ये पागल हुआ होगा,
कोई बात तो होगी
नशा ऐसा चढ़ा होगा।
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