Saturday, 9 April 2022

मोल

मोल चुकाकर
शान्त हृदय का,
उत्तेजना मैंने
मोल उठा ली,

क्षणिक सुखों की
कर उपासना,
मैने सत्य की
राह भुला दी,

मैने नदी सरोवर त्यागे
लहरों पर ही घर बनवा ली,
पथिक चला था मानसरोवर
सांभर मे ही प्यास बुझा ली,

मोल चुकाकर
शांत हृदय का,
मैने हृदय की 
गति बढ़ा दी!

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