Wednesday 27 April 2022

गुंजाइश

मिलने की तुमसे
हर घड़ी मै
गुज़ारिश ढूंढता हूं,
अपने दिल के
टूटने पर
जीते रहने की 
बिन तुम्हारे
ख्वाहिश ढूंढाता हूं

अब तुम्हारी आरजू की
अंजुमन मे बारिश ढूंढता हूं,
कतरा कतरा मै जुटाता
आंसुओं को
ख्वाब तेरे मै सजाता
उनमे खुद की गुंजाइश ढूंढता हूं

मै तुम्हारे लब पे अपनी
हर तमन्ना की लड़ाई
ज़र्रा ज़र्रा इस तड़प की
नुमाइश ढूंढता हूं

तुम ना कह दो
मै तुम्हारा हूं नहीं अब
इस फिकर मे
धूप मे खुद की मै
परछाई ढूंढता हूं 

मै बिखर कर 
गिर न जाऊं
धूल बनकर रास्तों पर
मै तुम्हारे दर्द डूबने को
गहराई ढूंढता हूं

मुझसे मिलने आ गई तो
हूं अकेला ही खड़ा मै
बच रहा हूं भीड़ से मै
अजनबी बनकर तुम्हारा
आने वाली तन्हाई ढूंढता हूं,

तुम भुलाओ प्यार को तो
मै संभल कर याद कर लूं,
कोई पूछे नाम लेकर
मै छुपाऊं, कुछ बताऊं
मै तुम्हारे नाम पर
देने वाली कर दुआएं
कर गुजरने के लिए
खुदा के दर पे दुहाई ढूंढता हूं।

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