राम नहीं दे रहे हैं,
राम से प्राण पाकर
सब राम से ही लड़ रहे हैं,
राम पर ही दोष है,
राम पर चित्कार है,
राम के विरोध मे
राम तिरस्कार है,
राम के बिना जिया जो
राम से मजबूर है,
राम को सिखा रहा
आज का दस्तूर है,
राम को खलल पड़ी है
राम के ही रूप से,
सब राम को करते रहे हैं
राम–राम दूर से!
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