Thursday, 14 April 2022

किराएदार

इस घर का किराएदार है,
यह जो तुम्हारा–मेरा प्यार है,
जाता नहीं कहीं और
कोई तो ये बड़ा साहूकार है,

गरज है इसे
तुम्हारे होने की इस कदर 
जैसे मेरी जिंदगी
कोई इसपर उधार है,

डर तो इसको
पुलिस का भी नहीं है,
लगता है देश में
इसी को सरकार है,

किसी Leftist की तरह
मुझसे लड़ जाता है,
JNU का President
कन्हैया कुमार है,

ये गुजरात मे प्रचार
खुलेआम कर रहा है,
जैसे मानो ये आम आदमी
का उम्मीदवार है,

तुम आ जाओगी
इसका झंडा उठाने,
झोले को कंधे से
मेरे उठाने,
जयशंकर हो तुम
ये यूक्रेन का war है,

इसे है बस यकीन
तुम्हारे खुदा होने का
जानता भी नहीं कि
यह किसका शिकार है,

बातें तुम्हारी 
इस कदर करता है
जैसे इसको किसी और का
नहीं इंतजार है,

धूल उड़ाता है
पैरों से रौंदकर,
रोज मनाता 
ये जश्न–ए–बहार है,

कहानियों में सजाता है
गमों और खुशी को
खट्टा मीठा है, नमकीन है,
यह स्वाद है तुम्हारा,
 बड़ा चटकदार है,

यह घूमता फिरता है
पहाड़ों–जंगलों में
नदी के किनारे,
सागर–सितारों मे,

मैं रहने देता हूं इसको
तसव्वुर में तुम्हारी
जैसे जिंदगी का मेरे
यही तो आधार है,

किसी और की अब मै
नेमपट ढूंढता हूं
अब यह महज
कुछ दिन का मेहमान है!😇

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