Thursday 14 April 2022

मिठाई मामा

मामाजी मिठाई
चट कर जाते थे,
मिठाइयों तक
चींटी से पहले ही
पहुंच जाते थे,

पर्दे के पीछे
छुपा के रखते,
धीरे धीरे, बारी–बारी
तराश–तराश के खाते थे,
झाड़–फूंक सहलाते थे
दोनो ओर घुमाते थे,

मुंह मे रखकर
दुनियां भूल जाते थे,
रसगुल्ले का–सा
चासनी मे,
भंवरे का–सा
कुसुम मकरंद मे,
धीरे–धीरे उतर जाते थे,
एक–एक टुकड़े को
चुबलाते थे,
मामाजी जब मिठाई खाते थे।


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